ईपी मतलब EXCLUSIVE पिटाई..

सुबह से टिप-टिप बारिश हो रही थी, मोहल्ले की नालियों ने बगावत कर दी थी.... सो नालियों का सड़ा मलबा सड़क पर बह निकला.... तभी दिमाग में टन्न हुआ, और लगा आज ये मलबा बलवा करवा कर ही रहेगा...

सोचा इसी पर स्टोरी कर दूं... सो ये नाचीज कौशांबी की गलियों में खाक छानने निकला...

गंदे मलबे की नीयत और नियति का नहीं था पता, मैं स्योर नहीं था, खबर मिलेगी या नहीं... बस बंद गली के अंधे रास्ते पर निकल पड़ा था कि कहीं, पीपली लाइव का नत्था मिल जाए.... नत्था मिला तो समझो दो दिन तो यूं ही निकल जाएंगे... असाइन्मेंट से हो जाएगी पेमेंट, और इनपुट एडिटर भी मान जाएगा.... बंदे में है दम...

कौशांबी की गलियों में मैं जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था, सूरज लापता हो चला था.... कभी-कभार जुगनू की माफिक चमकता, मलबे की गंध और खबर की सुगंध दे रही थी... अब मलबे पर यकीन हो चला था.. साला मलबे में स्टोरी नाम का माल छिपा है... यहीं मुझे अपने अजीज दोस्त का ख्याल आया... यहीं कौशांबी की गलियों में रहता है.... नाम है.... अरे नाम में क्या रखा है, दावा करते हैं टीवी के स्क्रिप्ट के मास्टर हैं

बने हैं नये नवेले (EP) EXECUTIVE PRODUCER... लेकिन बेचारे कभी लिखते नहीं..या यूं कहे की कभी लिख नहीं पाते, वजह है उनकी जानी पहचानी अनजानी अनारकली... 


कैमरा कंधे पर लटका था... इंतजार कर रहा था, तभी सामने से, इस सड़क के दूसरी कोने से कोई दो दर्जन लोग दिखाई दिये... सफेद, लकदक, मानो टिनोपाल से निकले कौशांबी की गली में उतर आए हों... मन में आया कौन लोग हैं ये... पता चला ये मौलाना हैं और नमाज पढ़ कर आ रहे हैं.. तभी मेरे पीछे से एक कार बड़ी तेजी से निकली..........आगे पढ़ें....


कुछ छींटें मेरे उपर भी पड़ी.. सड़क पर चल रहे दो दर्जन लोगों के बीच से किसी ने कहा अबे साले देख कर नहीं चलते.... तेज रफ्तार कार, लाल रंग, खतरे का रंग... बढ़ गयी आगे, स्पीड का क्या... अगर विजय माल्या देख लेते तो शायद अपनी टीम में रख लेते.... कार पूरी स्पीड से छपाक की आवाज आयी... ठीक टीनोपाल वाले सफेद लोगों के बगल से.....सफेद चमकदार कलफ लगे कपड़ों पर होली खिल गयी... सावन और रमजान के महीनों में होली... मुझे लगा कार आगे निकल जाएगी.. लेकिन अचानक कार का ब्रेक लग गया.... सफेद कपड़े वाले कार की तरफ लपके,, मुझे लगा अब बन जाएगी स्टोरी.... मैं कैमरा लिये दौड़ पड़ा,,,, पहले मामूली कहा-सुनी हुयी.... लेकिन ये क्या.. कहा- सुनी ने झगड़े का रुप ले लिया...

विजुअल रोल हो गया था.... मार-पीट शुरु हो चुकी थी... दो लोग उतर आए थे कार से... और सड़क पर तीस चालीस लोग... कैमरा चालू हो चुका था... अरे ये क्या ये तो मेरे कौशांबी वाले दोस्त ही निकले.... सोचा मामले का बीच बचाव करुं.., फिर सोचा पिटाई के थोड़े EXCLUSIVE VISUAL ले लूं... पत्रकार कौन सा रोज रोज पिटता है..... तभी थप्पड़ की आवाज आयी, पत्रकार साहब चिल्लाए, देख लूंगा, टीवी पत्रकार हूं... गुस्से से तमतमाए लोगों का मूड बदल गया... धुलाई शुरु हो गयी...
भीड़ का प्रोडयूसर चिल्लाया शो ओपेन करो..
STING फायर--- तड़ाक फड़ाक
TEASER रह गया, भैय्ये - धड़ाम फटाक
BYTES-- साले... ----- हरामी ----- और भी ना जाने क्या क्या, देख कर नहीं चलते....
PKG ROLL--- चटपट, चटफर, ढिशुम ढिशुम... मार - मार... कैमरा चालू है, मिल गयी स्टोरी...
WIPE--- कार के अंदर से आ रही थी, छोड़ दो, प्लीज बचाओ, तभी मैने सोचा अनजानी अनारकली के भी एक दो शॉट्स ले लेता हूं.. खबर बढिया बनेगी... मेरा कैमरा हर हरकत कैद कर रहा था..
तभी BREAKING आयी.... नाक पर धड़ दो साले के.... नाक से निकल पड़ी खून की धार... नाक की हड्डी टूट चुकी थी....
TRP के लिए....तमाम AV एक के बाद एक चले जा रहे थे... और BYTES तो पूछिये मत...
बीच बीच में अनजानी अनारकली की WIPE... छोड़ दो , मत मारो
लेकिन भीड़ का PRODUCER कहां सुन रहा था... शो बंद करने का नाम ही नहीं ले रहा था... बस मारो मारो... साला पत्रकार की धमकी देता है... मारो मारो...
और चैनल के EXECUTIVE PRODUCER पिटते रहे....
" दर्द उठे रात भर अनजानी अनारकली की याद में
कराहे " , मेरे मुंह से बरबस निकला...
मैं मुस्कराया, इसे कहते हैं EP यानी EXCLUSIVE पिटाई....
चलो काम हो गया, निकलो EXCLUSIVE फुटेज मिल गए.. तभी सभी चैनल वाले आ गए... EXCLUSIVE पिटाई के फुटेज के लिए... सभी चैनलों पर स्टोरी चलने लगी. चटकारे ले कर चली..
पिट गए पत्रकार, ठोका बजाया और धोया... लेकिन मेरे चैनल पर नहीं चली थी शाम तक... आखिर पिटने वाला मेरे चैनल का ही EXECUTIVE PRODUCER था.... वैसे मेरे लिए अब EP का मतलब बदल चुका था... बस अब याद आ रहा था... EP मतलब EXCLUSIVE पिटाई... टूटी नाक और अनजानी अनारकली की SOUND BYTE... खैर कोई बात नहीं...
देर शाम ये स्टोरी एक चैनल पर और चली
CROMA क्रोमा था..."कार में गड़बड़, मलबे की मार" ,पिट गया एक पत्रकार
मैं खुशी से चिल्लाया TRP मैय्या की जय...

प्यारे मोहन इलाहाबादी की आखों देखी घटना...

1 comments:

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

Related Posts with Thumbnails